रिश्ते 27

Embed from Getty Images

 

 

रिश्तों का आकाश क्षेत्र,

धरती के विस्तार की सीमा से
अधिक होता है
रिश्तों की सूक्ष्मता,
स्थूल कृत्यों से अभिव्यक्त
नहीं की जा सकती
शब्दों, संस्कारों और संधियों से
रिश्तों का निर्माण भी होता है
और
विस्तार भी
रिश्तों की सूक्ष्मता
भाषा और व्यवहार
पर निर्भर करती है
शब्द स्थूल हैं
और
शब्दों का भाव
और उनकी भंगिमा
सूक्ष्म है
भाषा सूक्ष्म है
शब्दों कें प्रयोग का तरीक़ा
और व्यवहार
रिश्तों में स्थायित्व लाता है
रिश्तों का आकाश धन,
धरती के विस्तार की सीमा से
अधिक होता है.
रिश्ते चलते रहते हैं
रुकते तो हम हैं

1 thought on “रिश्ते 27”

Leave a Comment

Translate »