रिश्तों का साया
सुकून देता है,
अपनी ऊर्जा को
सकारात्मक तरीक़े से
प्रयोग करने को प्रेरित करता है,
चिंताओं से मुक्त रखता है
और विश्वास को बढ़ाता है।
रिश्तों का साया
जहां एक ओर व्यक्ति को
स्वतंत्र बनाता है
वहीं दूसरी ओर
स्वावलम्भन को भी
सुदृढ़ करता है।
ऐसा प्रायः कहा जाता है
कि किसी के साये में
क्यों जीना
परंतु यह बात
रिश्तों के साये पर
लागू नहीं होती।
साये का आकार-प्रकार
घटता-बढ़ता रहता है
फिर भी उसके आग़ोश में
शांति का आवास होता है,
साये के चलायमान होने में ही
जीवन होता है
अन्यथा स्थिर साये
उसके आग़ोश में रह रहे लोगों
को अस्थिर कर देते हैं।
विचित्र है सायों का
गणित, भूगोल और भौतिक विज्ञान,
जो रिश्तों को तदनुसार
परिभाषित करता है,
रिश्ते चलते रहते हैं
सायों में
और उनके अभाव में भी।
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