रिश्ते 23

रिश्ते
इंद्रजाल की भाँति होते हैं,
जुड़े हुए,
मुड़े हुए,
समझ से परे भी,
सरल भी,
कठिन भी,
उलझे भी
और कुछ-कुछ सुलझे भी,
अपेक्षा और उपेक्षा से घिरे,
फूल की भाँति कोमल
और शूल जैसे पैने भी.
सचमुच अनोखा होता है,
रिश्तों का इंद्रजाल
जाना सा भी
और अनजाना भी,
इसकी गाँठें
इतनी तरतीब
व मज़बूती से बंधी होती हैं
कि इनको खोलना
नामुमकिन सा होता है,
इनका क्षेत्र
जीवन के साथ बढ़ता जाता है,
और विस्तृत होता जाता है,
जीविका के कारकों से लेकर
जीविकोपार्जन के कारणों तक,
इनका नेटवर्क बढ़ता जाता है
जो रिश्तों को
कालजयी बनाता है.
रिश्ते चलते रहते हैं,
अपने क्षेत्रफल
और घनत्व की
परवाह किए बिना
रिश्ते चलते रहते हैं,
रुकते तो हम हैं.

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