Hindi Poems

पिछले कुछ समय से रिश्तों के बारे में अपने विचार ‘प्रवाह’ नाम के अपने ब्लॉग पर साझा करता रहा हूँ। यदि आपकी रुचि है तो यहाँ क्लिक करें और आनंद लें, आपकी निष्पक्ष प्रतिक्रिया रिश्तों को समझने में सहयोग करेगी, सो अपनी प्रतिक्रिया देना न भूलें। 

Embed from Getty Images रिश्तों की रेल चलती है प्यार

Embed from Getty Images रिश्तों से कभी-कभी उठ जाता है

Embed from Getty Images गाँठ या यों कहें ग्रंथि रिश्तों

Embed from Getty Images रिश्तों की ऊन बहुत गरमाहट देती

Embed from Getty Images रिश्ते पानी की तरह साफ़ होते

Embed from Getty Images     रिश्तों का आकाश क्षेत्र,

Embed from Getty Images   रिश्तों का सौंदर्य एक दूसरे

Embed from Getty Images रिश्तों को बनाना, निभाना व जीवित

रिश्तों के बीज बोए जाते हैं, बीज से पौधा, पौधे

रिश्ते इंद्रजाल की भाँति होते हैं, जुड़े हुए, मुड़े हुए,

सरल होना कठिन है याद रखना, तरल होना कठिन है

आजकल शाम सुबह कल से काम होता है कल से

हम सभी, कुछ बेचकर जीते हैं, मर जाते हैं बोझ

दरवाज़ों से प्रवेश करते हैं रिश्ते चौखटें लांघते हैं खिड़कियों

आदमी उपयोग से उपभोग पथ पर जा रहा था और

घातक है बाज़ार का वर्चस्व बाज़ार हमारी ज़रूरत पूरी करे

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